ज़िंदगी एहसान कर....

जिंदगी एहसान कर
चल अब लौट चलें इस जग से
यहाँ न कोई तेरा न कोई मेरा
कासे कहूँ पीर जिया की
अब तो घुटन महसूस हुए है
अपने ही अब हुए पराए
गैरों से क्यों करुँ शिकायत

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